Jaishankar Prasad’s love poetry in Hindi intricately weaves human emotion with the beauty of nature and the depth of philosophy. Firstly, his verses often reflect the timelessness of love, presenting it as a force that transcends both life and death. Furthermore, Prasad’s poetry brings out intense emotions through natural imagery, allowing readers to feel the pain of separation as well as the joy of unity. Additionally, he uses powerful metaphors to explore love’s complexities, making his poems both profound and relatable. Consequently, Prasad’s work resonates deeply with readers, evoking a sense of both longing and fulfillment. Ultimately, his love poetry stands as a testament to the depth of human emotion and the beauty of poetic expression.
प्रियतम के संग जो घड़ी बिता दी,
वही प्रेम का गीत बना सदा की।
तेरी यादों का बादल छा जाए,
भीगा मेरा मन, सजल सदा रहे।
मैं फूल नहीं, पर काँटे संग खिला,
तेरे बिन यह जीवन विराना है।
तेरी बातों की खुशबू से महका,
यह प्रेम का उपवन, सजीव सदा।
दूर से तेरी छवि निहारी मैंने,
बन के दीपक जलूँ रातभर।
तेरे संग ये पल, जीवन की धरोहर,
तुझ बिन अधूरी है हर डगर।
सांझ के ढलते सूरज में तेरा रंग,
उसी में छिपा मेरा प्रेम का संग।
तेरी परछाईं के सहारे जी लूँगा,
तेरे बिन भी तेरा साया मुझे सहारा दे।
तेरे प्रेम का आँचल जो थाम लूँ,
सारी दुनिया की हर खुशी पा लूँ।
जब तू पास हो तो जग में अंधेरा नहीं,
तेरे बिना हर दिन में उजाला नहीं।
तू जो दूर हो, मैं आसुओं से बह जाऊं,
तेरी याद में खोकर फिर से मुस्कुराऊं।
तेरे प्रेम की गहराई में डूबा मैं,
न हो किनारा, बस तेरा सहारा।
तेरी बातों में खोकर गुज़रे दिन,
तू ही मेरे सपनों की राहगुज़र।
तेरी सूरत जब देखी मैंने,
दुनिया की सूरत फिर याद ना रही।
सपनों में जो तेरा रूप बसा है,
उसे हर सुबह फिर से पाना चाहता हूँ।