Firaq Gorakhpuri, a celebrated poet in both Urdu and Hindi, brought a distinctive depth to love poetry in Hindi literature. His love poems explore the emotions of passion, longing, and melancholy, painting vivid pictures of love’s tender beauty and heartache. Firaq’s mastery in capturing the pain of separation and the joy of union is evident in his lyrical verses. His Hindi love poetry stands out for its emotional depth and simplicity, making it accessible yet profound. Firaq’s poetic contributions remain cherished for their timeless expression of human emotions, resonating deeply with readers even today.
तेरे आने की जब ख़बर महके,
तेरे ख़ुशबू से सारा घर महके।
वो बात सारे फ़साने में जिसका ज़िक्र न था,
वो बात उनको बहुत नागवार गुज़री है।
मोहब्बत करने वाले कम न होंगे,
तेरी महफ़िल में लेकिन हम न होंगे।
लोगों के तजुर्बात और मेरे वाक़यात,
आसमानों से उतरते हैं तर्जुमा होकर।
कौन ये ले रहा है अंगड़ाई,
आसमानों को नींद आती है।
आइना देख अपना सा मुँह ले के रह गए,
साहब को दिल न देने पे कितना ग़ुरूर था।
तुझसे बिछड़ के हम भी मुकम्मल हो गए,
तू भी बदल गया, हम भी बदल गए।
दिल की चोटों ने कभी चैन से रहने न दिया,
जब चली सर्द हवा मैंने तुझे याद किया।
कुछ तो मज़ा है उसके प्यालों में,
वरना फ़िराक़ हम को भी होश है।
बुझा जो रौशनी का फ़र्ज़ चिराग़े सहर ने किया,
चमकते तारों का आलम फ़िराक़ शाम का सा था।
फिर कोई दिल को याद आया बहुत,
रात आई और ग़म के साए बहुत।
आकर लिपट गया है वो मुझसे,
बरसों के बिछड़े आज ऐसे मिलते हैं।
तू भी हो फ़िराक़ अब रुस्वा-ए-मोहब्बत,
हम भी तो बड़े बे-आबरू निकले।
तुम मुझसे ख़फ़ा हो तो ज़माने के लिए आओ,
वरना ये मिरा दिल तुम्हें आने न देगा।
शाम भी थी धुआँ-धुआँ, हुस्न भी था उदास-उदास,
दिल को कई कहानियाँ याद-सी आके रह गईं।